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मीडिया में सुर्खिया पाए देश के अलोकतांत्रिक कार्यो को छोड़ भी दिया जाए तो, एक आम नागरिक द्वारा किसी पुलिस थाने में शिकायत करने में उसकी हिचकिचाहट, सरकारी दफ्तरों में बार बार जाने में घिसते जूते, अपने ही जन प्रतिनिधियों से बात करने में डर का भाव और जंतर मंतर में आन्दोलन कर रहे आम जन पर पुलिस के डंडो की मार मार चिक चिक कर यह बताती है की हम कितने परिपक्व राजनितिक व्यवस्था के वासी है. इस देश में मीडिया की भूमिका पर नजर दोडाए तो निराशा ही हाथ लगती है ,मीडिया न कहकर कॉरपोरेट मीडिया कहे तो तर्कसंगत होगा. आज़ादी की लड़ाई में जिन आन्दोलनों ने हमे आजाद कराया आज उन्ही आन्दोलनों को चलाना पैसो पर टिका है जिसके पास सबसे ज्यादा पैसा उतनी ही आन्दोलन की गूंज गूंजेगी जिसके पास पूंजी नहीं वो जन्तर मंतर पर चिल्लाता चिल्लाता मर जाएगा और कॉरपोरेट मीडिया भी पैसे वालो को कवर करेगी. लोकतंत्र में मीडिया की भूमिका महत्वपूर्ण है. रादिया टैप कांड ने मीडिया का चश्मा पहने लोगो को मीडिया का चश्मा उतारने पर भले ही मजबूर कर दिया हो लेकिन देश को सही मायने में लोकतंत्र बनाने में लम्बी दूरी तय करना अभी भी बाकी है.
नववर्ष के मौके पर प्रधानमंत्री ने नए साल में निराशावाद को दूर करने की अपील तो की लेकिन वह भूल गए की निराशा फेलाने वालो में इस देश की राजनितिक व्यवस्था का हाथ सबसे बड़ा रहा. राजनीतिक दलों के दलीय प्रणाली के दुरपयोग ने इसका और भी ज्यादा विकास किया खुद को लोकतान्त्रिक तरीके से कार्य का दम भरने वाली इन पार्टियों में आलाकमान का चलन शुरू हुआ है. आलाकमान यानि जिसके हाथ में सारी कमान हो जो खुद निर्णय अपने तरीके से ले .ऐसा लगता है जैसे कोई तानाशाह डंडा दिखाकर पार्टी को चलाता हो असल में, पार्टियों की ऐसी प्रणाली सही मायने में तानाशाह लगती हैं. ऐसे में लोकतंत्र की चादर ओड़े तानाशाह रवैय्या अपनाए इन दलों से लोकतान्त्रिक व्यवस्था देने की बात हज़म नहीं होती. सविधानिक पदों का इस्तेमाल यह दल अपने हितो की पूर्ति
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लम्बे समय से ठन्डे बसते में पड़ा लोकपाल बिल आज भी बसते से बाहर निकलने को आतुर है लेकिन हमारे सांसदों की पैसो की भूख इस विधयक के प्रति तो उदासीनता दिखाती है लेकिन अपने आमदनी बड़ाए जाने के प्रति रूचि. तो वही आरटीई, शिक्षा का अधिकार कितने सही तरीके से लागू किया गया यह सबके सामने है. लगातार आरटीआई कार्यकर्ताओ की हत्याए हो रही है, समाज के गरीब वंचित तबके के बच्चे स्कूलों में दाखिला , पड़ने के मकसद से नहीं बल्कि पेट भरने के कारण लेते है. ऐसे में देश का सर्व शिक्षा अभियान कहा गया? यह प्रश्न चिन्ह बनकर खड़ा है? विदेशी प्रधानमंत्रियो और राष्ट्रपतियों के भारत दौरे पर भारत को उभरती हुई ताकत बता देने से हम गर्व से फुले जाते है. स्टेडियम में भारतीय धावक को दौड़ में आगे बड़ने का होसला देकर हम एकता की मिसाल दिखाते है लेकिन मेक्डोनाल्ड, डोमिनोज में किसी गरीब वंचित बच्चे के आ जाने पर हेरानगी जताते, दयनीय तोर पर देखते है शायद यही महानता है इस देश की. इसे ही ताकत कहते है. भूखे देश में राजीव गाँधी का यह कथन की "एक रूपये देने की सरकार की कोशिश जरुरतमंदो तक दस पैसे के रूप में पहुचती है" आज भी काफी प्रसांगिक है" यानि नब्बे पैसे देश के पिछड़े, वंचित लोगो की भूख नहीं मिटाता लेकिन भ्रष्ट नेताओ, कॉरपोरेट दलालों, नोकरशाहो की लालची भूख को बड़ाता है
देखा जाए तो लोकतंत्र व्यापक एक आदर्श व्यवस्था हैं हम इस आदर्श व्यवस्था के बालकाल में ही खड़े दिखाए देते है. परिपक्व लोकतंत्र तब ही बन सकेंगे जब कहने भर से ही नहीं अपने विचार और कार्यो से लोकतंत्र को साबित कर सकेंगे.
९ फरवरी२०११ जनसत्ता के समांतर में प्रकाशित
देखा जाए तो लोकतंत्र व्यापक एक आदर्श व्यवस्था हैं हम इस आदर्श व्यवस्था के बालकाल में ही खड़े दिखाए देते है. परिपक्व लोकतंत्र तब ही बन सकेंगे जब कहने भर से ही नहीं अपने विचार और कार्यो से लोकतंत्र को साबित कर सकेंगे.
९ फरवरी२०११ जनसत्ता के समांतर में प्रकाशित
7 टिप्पणियां:
अच्छा है गुरू...
लगे रहो अच्छे विचार हैं..
शुभकामना..
बहुत उम्दा लिखा है रोहित, लोकतंत्र सुशासन नहीं कुशासन का शिकार हो गया है क्योंकि सत्ता के गलियारे में सबकी ज़मीनी हकीकत देखि जाये तो वर्तमान समय में सब के सब बाज़ार में जाकर अपने आप को नीलाम कर रहे है सब के सब अपने पथ से भटक गए है में खुश हु की आपने अपने ब्लॉग में लोकतंत्र की परिभाषा को पुन लिखी.
ji bilkul sahi baat hai jrurat hai...ya to loktantra ko punah pribhashit kare ya...apne loktantra ko sudhare.....
Chilla chilla kar thhak jaoge kachhu nahi hoga....bahut bariha Rohit.All the best.
एक सही कोशिश ...
यक़ीनन इस देश की लोकतान्त्रिक व्यवस्था को सुधार की जरुरत है
रोहित बाबू आपने बहुत अच्छी कोशिश की है,मेरे विचार में आज इस लोकतंत्र के माइने ही बदल गए है,
rohi bhai aapne sahi samay par sahi mudday ko uthaya hai sayad aaj hamara loktantra loot tantra me tabdil ho chuka hai
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