सोमवार, 7 सितंबर 2009

जगदीश टाइटलर की मुश्किलें बिहार का प्रभारी बन्ने पर भी


जगदीश टाइटलर की मुश्किलें थमने का नाम नही ले रही। ८४ के दंगो के साए ने इनका पीछा अभी तक नही छोड़ा। सीबीआई की क्लीन चीट मिलने के बावजूद टाइटलर को अपनी टिकेट गवानी तो पड़ी लेकिन बाद में पार्टी हाईकमान ने राज्य सभा भेजने का वादा भी किया । लेकिन टाइटलर के ग्रेह अभी सुधरे नही राज्य सभा में हाईकमान ने आखरी मोके पर ओखला शेत्र क विधायक परवेज हाश्मी को राज्य सभा का पर्चा दाखिल करवाकर राज्य सभा भेजवा दीया। जिससे दिल्ली की राजनीती का यह जाना पहचाना नाम एक बार फ़िर दंगो के साये से उभर नही पा रहा है जिसने इसकी मुश्किलों को बड़ा दीया। हालाँकि हाईकमान ने बाद में दिल्ली की राजनीति से दूर बिहार का प्रभारी बनाकर टाइटलर को संतुष्ट तो जरुर किया लेकिन बिहार की राह टाइटलर के लिए इतनी आसान नही। टाइटलर जहा बिहार की राजनीति से अभी परे है वही प्रदेश पार्टी भी दो खेमो में बटी हुई है एक तरफ़ तो पार्टी अध्यक्ष अनिल शर्मा है तो दूसरी तरफ़ पार्टी प्रदेश से असंतुष्टओ का खेमा है जिसकी संख्या जादा है। साथ ही प्रदेश अध्यक्ष टाइटलर के करीबी माने जाते है जो की बिहार कांग्रेस के शीर्ष नेताओ में बगावत का विकल्प भी सामने ला रहा है। ऐसी स्तिथि में बिहार कांग्रेस के असंतुष्ट नेताओ को साथ लेकर कांग्रेस को एकजुट करना टाइटलर की सबसे बड़ी चुनोती बन गई है । दिल्ली से लेकर बिहार तक टाइटलर की मुश्किलें थमने का नाम नही ले रही है।