गुरुवार, 25 फ़रवरी 2010

ममता पर भारी पड़े सचिन

 हमेशा की तरह मै 24 फ़रवरी२०१० की शाम अपने पसंदीदा चैनल एनडीटीवी के साथ साथ आइबीनएन पर प्राइम टाइम न्यूज़ देख रहा था जिसमे सचिन के दोहरे शतक की खबरों को दिखाया जा रहा था. सभी न्यूज़ चैनलों पर सचिन की आतिशी पारी का गुणगान करते देखा गया. वही सुबह ही  मनमोहन सरकार का ममता की अगुवाई में दूसरा रेल बजट  पेश किया गया. महंगाई क इस दौर में आम जनता की निगाहे रेल मंत्री ममता बनर्जी की घोषनाओ पर टिकी हुई थी जिसे देखते हुए तमाम न्यूज़ चैनलों ने प्राइम टाइम पर रेल बजट पर कार्यक्रम प्रस्तुत करने की कमर कसली थी लेकिन शाम आते आते सचिन के बल्ले का जादू इस देश पर खूब चला. मीडिया भी इससे अछुता न रह सका  आखिर क्यों न रहे मीडिया को टीआरपी  बजट से जादा सचिन ''गोड''  ही दे सकते थे. यह गोड शब्द मेरा अपना नहीं सचिन के लिए मीडिया का गडा हुआ शब्द है.  ''जनता का, जनता के लिए, जनता द्वारा'' यह पंक्ति रेल मंत्री ममता बनर्जी ने बजट पेश करने से ठीक पहले बोली थी लेकिन सचिन के जादू ने इसी जनता को बजट की एबीसीडी ही भुला दी जिसमे सबसे बड़ी भूमिका तमाम टीआरपी की होड़ में लगे खबरिया चैनलों ने निभाई.  आइबीनएन  पर प्राइम टाइम पर चल रहे प्रोग्राम का नाम ''बजट अनलिमिटेड'' था लेकिन आश्चर्ये की बात यह थी की कार्येक्रम में सचिन के वर्ल्ड रिकॉर्ड पर चर्चा हो रही थी  इसके अलावा बजट पर कुछ भी देखने को नहीं मिला . कार्येक्रम को प्रस्तुत कर रहे स्पोर्ट्स संपादक अपने वरिष्ट सहयोगी आशुतोष को यह कहते मुस्कुरा रहे थे की आज आपकी बजट पर की गई मेहनत बेकार गई और कार्येक्रम प्राइम टाइम का हमे करना पड़ रहा है वास्तव में यह खेल टीआरपी का है और यह टीआरपी सचिन ''गोड'' के आलवा इन तमाम न्यूज़ चेनलो को भला कौन दिला सकता है... सच्चाई यह है की यह देश क्रिकेट का है सचिन गोड का है जहा लोग अपने दुखो, बढती महंगाई,  जरूरतों ,अपने बजट को  भुलाकर क्रिकेट में खो जाते है . लोगो की इसी भावनाओ को  मीडिया बखूबी समझता है इसलिए ऐसे मौको पर मीडिया टीआरपी की गेम खेलने से कभी नहीं कतराता .