सोमवार, 6 सितंबर 2010

मेजबानी में बिजली किल्लत का न्योता दे रही है यह सरकार

पिछले दिनों भारतीय मीडिया संस्थान के छात्रों को राष्ट्रमंडल खेलो में प्रशिक्षु की भूमिका निभाने हेतु इंदिरा गाँधी स्टेडिंयम भेजा गया. इससे पहले मैने इस स्टेडिंयम का दोरा करीब दो साल पहले किया था लेकिन स्तिथि आज तब से उलट दिखाई दी वाकई में सरकार ने मानवीय विकास के नाम पर भौतिक विकास के तहत स्टेडिंयम का पूरे तरीके से मेकअप कर दिया है. सरकार ने तकनीक का इस्तमाल बड़े पैमाने पर कर रखा  है लेकिन इन  तमाम भौतिक विकास से रु ब रु  होने के बाद एक चीज़ से दंग  रह गया जिसे देखते ही पिछले साल खबरिया चैनलों की रिपोर्ट एक बार फिर आँखों के सामने आ गई. यह रिपोर्ट राष्ट्रमंडल खेलो से सम्बंधित  नहीं बल्कि दिल्ली में बिजली की भारी किल्लत की थी. यह सच है दिल्ली हमेशा बिजली की कमी से झूझती  रही है लेकिन मेजबानी में डूबी दिल्ली की वही सरकार आज तमाम नियमो कायदों को ताक पर रख रही है. वास्तव में दोपहर के समय भी स्टेडिंयम में लगी स्ट्रीट लाइट्स जली हुई थी, बड़े पैमाने पर बिजली का दुरपयोग सरकार खुद कर रही है. देश में बिजली की कमी कितनी है इससे सब परिचित है इसी समस्या के चलते सरकार अमेरिका, कनाडा, फ्रांस से असैनिक परमाणु करार करने तक चली गई  परिणामस्वरूप पिछली यूपीए सरकार भी बार बार गिरने से बची. लेकिन सरकार शायद अपना पिछला दौर भूल गई है, वह भूल गई की देश की उर्जा जरूरतों को पूरा करने के लिए उसने क्या क्या नहीं किया आज सिर्फ वह मेजबानी  में डूबी है लेकिन सवाल यह है की खुद उर्जा जरुरत की बात करने वाली सरकार, लोगो से बिजली सही से इस्तेमाल करने की अपील करने वाली सरकार कैसे बिजली का संकट पैदा कर सकती है ? शायद सरकार तमाम विकास राजनीतिक हित में करती है जनहित में नहीं. 

गुरुवार, 25 फ़रवरी 2010

ममता पर भारी पड़े सचिन

 हमेशा की तरह मै 24 फ़रवरी२०१० की शाम अपने पसंदीदा चैनल एनडीटीवी के साथ साथ आइबीनएन पर प्राइम टाइम न्यूज़ देख रहा था जिसमे सचिन के दोहरे शतक की खबरों को दिखाया जा रहा था. सभी न्यूज़ चैनलों पर सचिन की आतिशी पारी का गुणगान करते देखा गया. वही सुबह ही  मनमोहन सरकार का ममता की अगुवाई में दूसरा रेल बजट  पेश किया गया. महंगाई क इस दौर में आम जनता की निगाहे रेल मंत्री ममता बनर्जी की घोषनाओ पर टिकी हुई थी जिसे देखते हुए तमाम न्यूज़ चैनलों ने प्राइम टाइम पर रेल बजट पर कार्यक्रम प्रस्तुत करने की कमर कसली थी लेकिन शाम आते आते सचिन के बल्ले का जादू इस देश पर खूब चला. मीडिया भी इससे अछुता न रह सका  आखिर क्यों न रहे मीडिया को टीआरपी  बजट से जादा सचिन ''गोड''  ही दे सकते थे. यह गोड शब्द मेरा अपना नहीं सचिन के लिए मीडिया का गडा हुआ शब्द है.  ''जनता का, जनता के लिए, जनता द्वारा'' यह पंक्ति रेल मंत्री ममता बनर्जी ने बजट पेश करने से ठीक पहले बोली थी लेकिन सचिन के जादू ने इसी जनता को बजट की एबीसीडी ही भुला दी जिसमे सबसे बड़ी भूमिका तमाम टीआरपी की होड़ में लगे खबरिया चैनलों ने निभाई.  आइबीनएन  पर प्राइम टाइम पर चल रहे प्रोग्राम का नाम ''बजट अनलिमिटेड'' था लेकिन आश्चर्ये की बात यह थी की कार्येक्रम में सचिन के वर्ल्ड रिकॉर्ड पर चर्चा हो रही थी  इसके अलावा बजट पर कुछ भी देखने को नहीं मिला . कार्येक्रम को प्रस्तुत कर रहे स्पोर्ट्स संपादक अपने वरिष्ट सहयोगी आशुतोष को यह कहते मुस्कुरा रहे थे की आज आपकी बजट पर की गई मेहनत बेकार गई और कार्येक्रम प्राइम टाइम का हमे करना पड़ रहा है वास्तव में यह खेल टीआरपी का है और यह टीआरपी सचिन ''गोड'' के आलवा इन तमाम न्यूज़ चेनलो को भला कौन दिला सकता है... सच्चाई यह है की यह देश क्रिकेट का है सचिन गोड का है जहा लोग अपने दुखो, बढती महंगाई,  जरूरतों ,अपने बजट को  भुलाकर क्रिकेट में खो जाते है . लोगो की इसी भावनाओ को  मीडिया बखूबी समझता है इसलिए ऐसे मौको पर मीडिया टीआरपी की गेम खेलने से कभी नहीं कतराता .

शनिवार, 16 जनवरी 2010

congress ka secularism


congress party shuru se hi secularism ki rajnit krane ka daava karti aai hai stithi chae chunav k samay ki ho ya vipaksh k roop me ho ya fir satta me aane k baad ki stithi.. sabhi hi stithi me congress ne samprdayik takto k viroodh awaz buland karke aam jan ka vishvas jitne me kamyab rahi hai. party ki niti hi secularism ko darshati hai kintu bihar congress ne party ki is secular chavi ko badal hi dala . bihar congree k prbhari jagdish titler or bihar congree k adhyeksh anil sharma ne bihar rajya ki padadikhario ki suchi me lok sabha speaker k naam k sath unki jaati ka ullekh kiya jiske karan dono hi netao k khilaf dalit kranti morcha naam k sanghatan ne mamla bhi darj krwya joki party me chal rahi andruni jatigat bhedbhav ko darshati hai.ek taraf desh ki sabse badi rastiya rajnitik party jo apne aap me secular ki chaadar ode alpsankhyo ke vikas ki baat karti hain vahi dusri taraf congress me hi jatigat tor per bhedbhav dekhne ko mil rha jo apne apne aap me party ke real secularism ko prastuth kar rahi hai.........